स्वास्थ्य के लिए अति उपयोगी: बादाम


‘आयुर्वेद शिरोमणि’ डॉ. मनोहरदास अग्रावत एन. डी. विद्यावाचस्पति, (प्राकृतिक चिकित्सक)

    स्वास्थ्य के लिए सुखे मेवे उपयोगी और स्वास्थ्य संवर्धक माने जाते हैं इनमें ‘बादाम’ को सभी मेवों की सर्वोत्तम गिरी मानी जाती।
    बादाम के वृक्ष एशिया खण्ड के ईरान, मक्का, मदीना, मस्कत, शीराज आदि स्थानों में बहुत होते हैं। आजकल भारतवर्ष के बगीचों और काश्मीर में भी इसके पौधे लगाये जाते हैं।
    इसे संस्कृत में वातांबुफल या वाताम्, हिन्दी और बंगला में बादाम, गुजराती और मराठी में-बदाम, तैलिंगी में-वेदम, तामील में-नटवडुम, फारसी में बादाम, अरबी में-लोजम, लैटिन में-एमिग्डेलस् कम्युनी एमेर और अंग्रेजी में अम्लेंड कहते हैं। यह वृक्ष बहुत बड़ा होता है। इसकी दो जातियाँ होती है-कड़वी और मीठी। बादाम पौष्टिक होती है। यह एक मेवा है इसका तेल भी निकाला जाता है। कडवी बादाम हानिकारक होती है। उसे उपयोग में नही लाना चाहिए। मीठे बादामों में भी छिलके की मोटाई के अनुसार दो तरह के बादाम होते हैं, पतले छिलके वाला जिसे कागजी बादाम कहते हैं, और मोटे छिलके वाला जिसे तेली बादाम के नाम से जाना जाता है।
    उपयोगिता और मान्यता-
    वैज्ञानिक शोधों तथा आहार विशेषज्ञों के अनुसार दिमाग की कार्यशक्ति को सुचारू बनाए रखने में बादाम बहुत उपयोगी है, यह मांस पेशियों को मजबूत बनाने तथा दीर्घायुप्राप्त करने में बहुत सहायता करती है। आयुर्वेद और युनानी पद्धति के अधिकांश योगों में भी बादाम का इस्तेमाल किया जाता है।
    निहीत तत्व-    बादाम में आवश्यक पौष्टिक तत्व-प्रोटीन चिकनाई, कार्बोहाइड्रेट, पानी, कैल्शियम, लोहा, फास्फोरस आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, दिमाग और त्वचा के लिए तो यह अत्यन्त ही उपयोगी है। बादाम में खनिजों और विटामिनों के अतिरिक्त पर्याप्त मात्रा में अनसेचुरेटेड वसा पाई जाती है, जो शरीर के लिए अत्यन्त  लाभदायक है। इसकी प्रत्येक 100 ग्राम की मात्रा मंे 11 लिनोलिक एसिड होता है यही वसाअम्ल सबसे अधिक महत्वपूर्ण अनसैचूरेटेड एसिडों में से एक है, जो सीरम कॉलेस्ट्रोल का स्तर कम करने में बहुत सहायक होता है। यह सभी तत्व एक साथ क्रिया करते हैं और जिगर के ठीक से कार्य करते रहने में मदद करते हैं।
    कच्ची बादाम-सारक, गुरू और पित्त कर होती है तथा कफ, पित्त विकास आर वायु का नाश करती है।
    पक्की बादाम- उष्ण, स्निग्ध, वातनाशक, कफकर, शुक्रकर और जड़ होती है तथा रक्त पित्त का नाशक करती है।
    बादाम का गूदा- मधुर, वृष्य, स्निग्ध, उष्ण, पौष्टिक, कफकर और वात-पित्त नाशक होता है।
    श्रेष्ठ आहार- बादाम की गिरी को रात्रि के समय ठण्डे पानी मेें भिगोदें सुबह इन्हे छीलकर बारीक पीसलें यह सफेद पेस्ट की तरह बन जायेगा, इसी पेस्ट को बादाम की चटनी कहते है, इसका एक छोटा चम्मच भर प्रातः दूध के साथ सेवन करने से उच्च श्रेणी का प्रोटीन मिलता है, यह वृद्धों व कमजोरों के लिए अधिक उपयोगी है, क्यांेकि सुगमता से हजम होने वाले पोषक तत्व होते हैं। स्नायुओं और दिमाग के थक जाने से कभी-कभार चक्कर आने लगते और आंखो के सामने एकदम अंधेरा सा छाने लगता है। सिर्फ दो बादाम प्रतिदिन दूध के साथ सेवन करने से यह शिकायत दूर हो जाती है।

Post a Comment

0 Comments